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मौसम व जलवायु में अन्तर , मौसम व जलवायु में अन्तर स्पष्ट करते हुए जलवायु व मौसम के तत्वों का संक्षेप में वर्णन

 स्थल एवं जलमण्डल के अतिरिक्त वायुमण्डल का अध्ययन भी भौतिक भूगोल में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। हमारे चारों ओर वायु का आवरण विस्तृत रूप से तना हुआ है। पी. लेक महोदय के शब्दों में वायुमण्डल की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है-"The outer envelope of the gases of the planet upon which we live is called the atmosphere."


मानव जीवन पर वायुमण्डल तत्व अपना प्रभाव पूर्णतः रखता है। इन सभी वायुमण्डलीय तत्वों के सामूहिक रूप को ही जलवायु की संज्ञा दी जाती है। जलवायु एक यौगिक शब्द है, जिसमें जल व वायु दोनों का ही योग है।


जल का अर्थ है, आर्द्रता, उसकी मात्रा तथा उत्पत्ति। वायु का अर्थ है हवा की गति, उसकी दिशा व उत्पत्ति, जो दबाव में अन्तर होने के कारण उत्पन्न होती है। दबाव स्वयं तापमान पर आधारित होता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि उक्त तत्वों की मिश्रित व्याख्या ही जलवायु के अन्तर्गत आती है।


मौसम का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Weather)


मौसम से अर्थ है प्रतिदिन की परिवर्तनशील वायुमण्डलीय घटनाएँ। मौसम सदैव ही परिवर्तनशील रहता है। कोपे तथा द लॉग के अनुसार-किसी विशेष स्थान और काल में वायुमण्डल की अवस्था को मौसम कहा जाता है।


क्रिचफील्ड (Howard J. Critchfield) के अनुसार, "मौसम वायुमण्डल की दिन-प्रतिदिन की दशा को कहते हैं, और इसका सम्बन्ध तापमान, आर्द्रता तथा वायु की गतियों में होने वाले अल्पकालिक परिवर्तनों से होता है।"


फिंच एवं ट्रिवार्था (Finch and Trewartha) के अनुसार, "दिन-प्रतिदिन के मौसम की दशाओं की विविधता का समन्वय अथवा साधारणीकरण ही जलवायु कहलाता है।" किन्तु जलवायु को 'औसत मौसम' ही मान लेना भारी भूल होगी, क्योंकि मौसम के विभिन्न तत्वों का औसत से विचलन उतर्नी ही महत्वपूर्ण होता है जितना स्वयं उनका औसत। किसी स्थान विशेष पर वायुमण्डल की दशाओं का अल्पकालीन योग मौसम होता है। यह वायुमण्डल की क्षणिक दशा का द्योतक है।"


मौसम की उत्पत्ति मुख्य रूप से प्रक्रियाओं के द्वारा होती है जो सौर विकिरण की विषमता को दूर करने का प्रयास करती है। मौसम की अभिव्यक्ति उसके अनेक तत्वों के समन्वित रूप में की जाती है। मौसम के प्रमुख तत्वों में तापमान, आर्द्रता, वायु भार, पवन तथा वृष्टि आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। वास्तव में इन्हीं तत्वों के योग से ही किसी प्रदेश के मौसम अथवा वहाँ की जलवायु का निर्माण होता है। जलवायु विज्ञान में मौसम एवं जलवायु दोनों शब्दों का प्रयोग विभिन्न अर्थों में किया जाता है। मौसम (Weather) वायुमण्डल की क्षणिक अथवा अल्पकालिक अवस्था को कहा जाता है जबकि जलवायु (Climate) शब्द से किसी स्थान या प्रदेश के मौसम के दीर्घकालिक औसत का बोध होता है।


जलवायु का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Climate)

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जलवायु को अंग्रेजी में क्लाइमेट (Climate) कहते हैं। क्लाइमेट शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के Klima शब्द से हुई है। क्लाइमा का शाब्दिक अर्थ झुकाव (Inclination) या ढाल (Klino) होता है। ग्रीक विद्वानों ने भूतल पर पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की जलवायु का मूल कारण सूर्य की किरणों का झुकाव माना था। इरेटॉस्थेनीज प्रथम ग्रीक विद्वान था जिसने सूर्य की रश्मियों के झुकाव का महत्व समझा। हिपार्कस (Hipparcus) एक अन्य ग्रीक विद्वान था जिसने सौर किरणों के आपतन कोण को जलवायु का इतना महत्वपूर्ण कारक मान लिया कि इसी के आधार पर उसने पृथ्वी को पाँच ताप कटिबन्धों अथवा जलवायु प्रदेशों (Klimata) में विभाजित कर डाला। आगे चलकर वैज्ञानिकों को अपने सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर इस बात को समझते देर न लगी कि वास्तव में किसी प्रदेश की जलवायु एकमात्र सूर्य से प्राप्त ऊष्मा पर ही निर्भर नहीं करती, बल्कि अन्य बहुत से कारक होते हैं जो जलवायु को प्रभावित करते हैं।


क्रिचफील्ड के मतानुसार पृथ्वी और वायुमण्डल के बीच लम्बी अवधि तक ऊर्जा एवं द्रव्यमान के विनिमय की प्रक्रियाओं से उत्पन्न दशाओं को जलवायु कहते हैं। जलवायु मौसम के तत्वों का सांख्यिकीय औसत ही नहीं अपितु उससे कुछ अधिक है। वायुमण्डल की ऊष्मा, आर्द्रता एवं वायु की गतियों आदि की दशाओं का समुच्चय जलवायु कहलाता है। ट्विार्था (Trewartha) ने स्पष्ट किया है कि "जलवायु दिन प्रतिदिन की मौसमी दशाओं के विभिन्न रूपों का मिश्रण या सामान्यीकरण है।"


मौसम व जलवायु में अन्तर(Difference Between Weather and Climate) 


(1) मौसम सामान्यतया एक दिन या 24 घण्टे या अल्प समय की वातावरण दशाओं का योग होता है जबकि जलवायु दीर्घकालीन अवधि की मौसमीय दशाओं का योग होता है। जलवायुवेत्ता इस दीर्घकालीन अवधि में 30 से 35 वर्षों तक की अवधि सम्मिलित करते हैं।


(2) मौसम में सामान्यतया विभिन्न मौसमीय तत्वों जैसे सौर विकिरण, वायु का तापमान, वायुभार, हवाएँ, आर्द्रता व वर्षण तथा मेघों की मात्रा की औसत दशाओं का अध्ययन किया जाता है जबकि जलवायु में औसत मौसमीय दशाओं के साथ और भी अधिक जानकारी प्राप्त की जाती है। जलवायु में औसत दशाओं से विचलनों, चरम दशाएँ तथा दी गयी मौसमी दशाओं के प्रभावों की सम्भावनाओं का अध्ययन भी सम्मिलित है।


(3) मौसम के अध्ययन में वातावरण की दशाओं में वार्षिक परिवर्तनों का अध्ययन नहीं किया जाता जबकि जलवायु में वार्षिक परिवर्तनों का अध्ययन अतिआवश्यक होता है।


(4) मौसम सामान्यतया छोटे क्षेत्रों से सम्बन्धित होता है जबकि जलवायु का अध्ययन अपेक्षाकृत बड़े क्षेत्रों के संदर्भ में किया जाता है।



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