सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जानिए ! कैसे बनें आईएएस ,आईपीएस ? UPSC सिविल सेवा परीक्षा (CSE) का परिचय upsc ias ips syllbus पाठ्यक्रम |

भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) कैसे बनें: एक विस्तृत मार्गदर्शिका भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) भारत की सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानजनक सेवाओं में से हैं। इन सेवाओं में शामिल होने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) उत्तीर्ण करनी होती है। यह परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है और इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए उचित योजना, समर्पण और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम IAS और IPS बनने की प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे।

 

 सिविल सेवा परीक्षा (CSE) का परिचय

 UPSC  सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है:

1. प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Exam)

2. मुख्य परीक्षा (Mains Exam)

3. साक्षात्कार (Interview)


पाठ्यक्रम

चरण 1: प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Exam)

 प्रारंभिक परीक्षा में दो पेपर होते हैं:

1. सामान्य अध्ययन पेपर I: इसमें सामान्य ज्ञान, इतिहास, भूगोल, राजनीति, अर्थशास्त्र, पर्यावरण, विज्ञान और समसामयिक घटनाएं शामिल होती हैं।

2. सिविल सेवा अभिरुचि और क्षमता परीक्षण (CSAT): इसमें तार्किक क्षमता, विश्लेषणात्मक क्षमता, गणितीय कौशल, संचार कौशल और निर्णय लेने की क्षमता का परीक्षण किया जाता है।

 

प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए उम्मीदवार को केवल सामान्य अध्ययन पेपर I के अंक गिने जाते हैं, जबकि CSAT क्वालिफाइंग होता है।

 

चरण 2: मुख्य परीक्षा (Mains Exam)

 

मुख्य परीक्षा में नौ पेपर होते हैं:

1. निबंध: उम्मीदवार को विभिन्न विषयों पर निबंध लिखने होते हैं।

2.सामान्य अध्ययन I : भारतीय धरोहर और संस्कृति, इतिहास और भूगोल।

3.सामान्य अध्ययन II : शासन, संविधान, राजनीति, सामाजिक न्याय और अंतर्राष्ट्रीय संबंध।

4.सामान्य अध्ययन III : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा और आपदा प्रबंधन।

5.सामान्य अध्ययन IV : नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि।

6.ऐच्छिक विषय पेपर I : उम्मीदवार द्वारा चुने गए ऐच्छिक विषय का पहला पेपर।

7.ऐच्छिक विषय पेपर II : ऐच्छिक विषय का दूसरा पेपर।

8.भारतीय भाषा : उम्मीदवार द्वारा चुनी गई भारतीय भाषा।

9. अंग्रेजी : अंग्रेजी भाषा की परीक्षा।

 

मुख्य परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है।

 

चरण 3: साक्षात्कार (Interview)

 

साक्षात्कार चरण में उम्मीदवार की व्यक्तित्व, संचार कौशल, नेतृत्व क्षमता, तर्कशक्ति और सामान्य जागरूकता का मूल्यांकन किया जाता है। साक्षात्कार बोर्ड उम्मीदवार की शैक्षणिक पृष्ठभूमि, रुचियों, उपलब्धियों और दृष्टिकोण के आधार पर सवाल पूछता है।

 

योग्यता मानदंड

 

IAS और IPS बनने के लिए निम्नलिखित योग्यता मानदंड आवश्यक हैं:

1. राष्ट्रीयता : उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए।

2. शैक्षिक योग्यता: उम्मीदवार के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।

3.आयु सीमा: उम्मीदवार की आयु 21 से 32 वर्ष के बीच होनी चाहिए। आरक्षित वर्गों को आयु सीमा में छूट प्रदान की जाती है।

 तैयारी की रणनीति

 सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए एक व्यवस्थित और संगठित दृष्टिकोण आवश्यक है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:

1.सिलेबस को समझें: सबसे पहले सिलेबस को अच्छे से समझें और उसके अनुसार अपनी तैयारी शुरू करें।

2.अध्ययन सामग्री: एनसीईआरटी किताबें, मानक संदर्भ पुस्तकें, समाचार पत्र, पत्रिकाएं और ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग करें।

3.नोट्स बनाएं: नियमित रूप से नोट्स बनाएं ताकि आप महत्वपूर्ण जानकारी को आसानी से दोहरा सकें।

4.मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र: मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र हल करें ताकि आप परीक्षा पैटर्न को समझ सकें और समय प्रबंधन कर सकें।

5.समाचार पत्र पढ़ें: समसामयिक घटनाओं पर ध्यान दें और रोजाना समाचार पत्र पढ़ें।

6.समूह चर्चा और अध्ययन: अन्य उम्मीदवारों के साथ समूह चर्चा और अध्ययन करें ताकि आप विभिन्न दृष्टिकोणों से परिचित हो सकें।

 

 शारीरिक और मानसिक तैयारी

 

IAS और IPS अधिकारियों को मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से फिट होना चाहिए। IPS के लिए शारीरिक मानदंड विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। उम्मीदवारों को नियमित व्यायाम और योग करने की सलाह दी जाती है ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रह सकें।

 

 प्रशिक्षण

 

UPSC परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद चयनित उम्मीदवारों को संबंधित अकादमियों में प्रशिक्षण दिया जाता है:

1. IAS : लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA), मसूरी में प्रशिक्षण दिया जाता है।

2. IPS : सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA), हैदराबाद में प्रशिक्षण दिया जाता है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में शैक्षणिक प्रशिक्षण, फील्ड ट्रेनिंग, नैतिक शिक्षा और नेतृत्व विकास शामिल होता है।

  निष्कर्ष

 IAS और IPS बनने का सपना साकार करने के लिए दृढ़ संकल्प, समर्पण और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करना आसान नहीं है, लेकिन सही रणनीति और निरंतर प्रयास से इसे संभव बनाया जा सकता है। उम्मीद है कि यह मार्गदर्शिका आपको इस कठिन लेकिन पुरस्कृत यात्रा के लिए तैयार करने में सहायक सिद्ध होगी। आपकी सफलता की कामना करते हैं!

NOTE- इसी तरह के विषयों  पर आगामी पोस्ट प्राप्त करने के लिए हमारे टेलीग्राम समूह में शामिल हों।

telegram link- join telegram channel


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मध्यप्रदेश के स्वतन्त्रता संग्राम के स्त्रोतों प्राथमिक द्वितीयक स्त्रोतों का वर्णन ।(Sources of Freedom struggle in Madhya Pradesh)

मध्यप्रदेश के स्वतन्त्रता आन्दोलन के स्त्रोत (Sources of Freedom struggle in Madhya Pradesh) स्त्रोत वह माध्यम है जो किसी भी विषय वस्तु की व्यापक एवं प्रामाणिक जानकारी तथ्यों के साथ हमारे सामने रखते हैं। स्त्रोत में निहित ऐतिहासिक तथ्य इतिहास की रीढ़ की हड्डियों के समान हैं। ऐतिहासिक तथ्य ठोस, कठोर तथा यथार्थ परक होते हैं। इन्हीं तथ्यों की विश्लेषणात्मक व्याख्या इतिहास लेखन का आधार है।  किसी भी राष्ट्र के राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास उस राष्ट्र की अमूल्य धरोहर होता है। राष्ट्रीय आन्दोलन की घटनाएँ, उससे जुड़े देश-भक्तों का बलिदान, स्मारक, साहित्य आदि उस देश के लोगों के लिए प्रेरणा का कार्य करते हैं। इसके साथ ही इन स्त्रोतों से राष्ट्रीय भावना भी सतत् जीवन्त रहती है। मध्यप्रदेश के स्वतन्त्रता संघर्ष से सम्बन्धित तथ्यों के प्रमुख दो स्त्रोत हैं- (अ) प्राथमिक स्त्रोत (ब) द्वितीय स्त्रोत।  (अ)प्राथमिक स्त्रोत- प्राथमिक , वे स्त्रोत कहलाते हैं, जो विषयवस्तु से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं। प्राथमिक स्त्रोत का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-  जलवायु परिवर्तन और तटीय क्षेत्रो...

प्रादेशिक नियोजन का उ‌द्भव और प्रकार अवधारणा प्रादेशिक नियोजन के विकास । (Concept of Regional Planning)

बाई.एन. पेट्रिक (Y. N. Petrik) के अनुसार, "प्रादेशिक नियोजन प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन के उपयोग, प्राकृतिक पर्यावरणीय रूपान्तरण, उत्पादन शक्तियों तथा उसके विवेकपूर्ण संगठन पर आधारित है।" एल्डन व मॉरगन (1974) ने अपने लेख में इस बात पर जोर दिया है कि "प्रादेशिक नियोजन को न तो केवल आर्थिक नियोजन और न ही केवल भौतिक नियोजन के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।" अपितु यह एक ऐसा नियोजन है जिसकी रुचि का केन्द्र भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक तत्वों को किसी प्रदेश विशेष के सन्दर्भ में समन्वित रूप की सोच पर केन्द्रित होती है।" इस तरह की संकल्पना में किसी प्रदेश विशेष की कोई विशेष अनुभव पूर्व समस्याएँ नहीं होतीं जिनके निदान के लिए परियोजना निर्मित होती है। इस तरह की संकल्पना में बहुस्तरीय प्रदानुक्रमण की कल्पना की जाती है। अतः नियोजन प्रक्रिया में प्रदेश (Space) का घटक भी चिन्हित होता है।  किसी प्रदेश के विकास हेतु अपने विभिन्न रूपों में एक प्रकार की दिशा निर्देशिका है कि प्राकृतवास, आर्थिकी एवं सामाजिकता के समाकलित विकास का पर्यवेक्षण है। फ्रीडमैन (1972) के श...

मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ( गठन)

मध्यप्रदेश  की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ( गठन) मध्यप्रदेश 1 नवम्बर, 1956 को अस्तित्व में आया और 1 नवम्बर 2000 को इस मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हो गया, परन्तु इसके पूर्व (1956 के पूर्व) इतिहास के पन्नों में इसका स्वरूप कुछ और ही था।  सन् 1857 की क्रान्ति ने प्रमुख रूप से सागर-नर्मदा क्षेत्रों को ही प्रभावित किया था। दक्षिण भारत में केवल कुछ छींटे ही पहुँच पाए थे। यही कारण है कि अंग्रेजी इतिहासकारों  ने यहाँ की शांति व्यवस्था की खूब सराहना की है। नागपुर के कमिश्नर लाउडन तथा उसके डिप्टी कमिश्नरों ने अपनी रीति-नीति से इस क्षेत्र की शांति व्यवस्था को कभी भी भंग नहीं होने दिया, जबकि उत्तरी क्षेत्र बुन्देलखण्ड एक खौलती हुई कड़ाही की भाँति बन गया था। अतएव भारत के मध्य क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए यह आवश्यक था कि बुन्देलखण्ड का समुचित निपटारा किया जाये। सन् 1858 में बुंदेलखंड का अंग्रेजी अधिकार क्षेत्र उत्तर-पश्चिम प्रान्त का एक अंग था। उत्तरी बुंदेलखण्ड के झाँसी, जालौन, बांदा और हमीरपुर अंग्रेजों द्वारा कब्जे में ले लिये गये थे और इनका प्रशासन आगरा स्थित लेफ्टिनेंट गवर्न...