खनिज मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार है। म.प्र. खनिजों की उपलब्धता की दृष्टि से भारत का एक सम्पन्न राज्य है। खनिज उत्पादन के मूल्य के दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश देश में बिहार राज्य के बाद दूसरा स्थान रखता है। मध्यप्रदेश के खनिजों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-
1. घात्विक खनिज-इसके दो भाग हैं-
(अ) लौह धातु-इसमें लोहांश पाये जाते हैं। जैसे-खनिज लोहा, मैंगनीज, टंगस्टन, क्रोमाइट।
(ब) अलौह धातु-ताँबा, जस्ता, बॉक्साइट, सोना, चाँदी, टिन व सीसा।
2. अघात्विक खनिज-इसमें चूने का पत्थर, अभ्रक व नमक आते हैं।
3. शक्ति उत्पादक खनिज-खनिज तेल, यूरेनियम, थोरियम बेरीलियम, जिरकोनियम।
1. खनिज लोहा (Iron Ore)
(अ) महत्व-इसका महत्व निम्न उपयोगों से स्पष्ट है-
(i) औद्योगिक विकास का आधार- इस्पात व मशीनों का निर्माण सम्भव हुआ है।
(ii) परिवहन क्षेत्र में उपयोग- मोटर, जहाज, हवाई जहाज आदि के निर्माण में उपयोग होता है।
(iii) कृषि क्षेत्र में उपयोगी -ट्रेक्टर व अन्य मशीनें, हल, बैलगाड़ी आदि।
(iv) संचार के साधनों में उपयोग -टेलीफोन, वायरलैस आदि में।
(v) विद्युत उत्पादन में उपयोग-टरबाईन, जेनरेटर आदि में।
(vi) अन्तरिक्ष विज्ञान में उपयोग- रॉकेट, राडार आदि में।
(vii) सामाजिक दृष्टि से महत्त्व- ट्रैक, तोप, मशीनगनों आदि का निर्माण। (
(viii) भवन निर्माण- भवन निर्माण में दूसरा उपयोग होता है।
(ix) बाँधों का निर्माण-बड़े-बड़े बाँघों का निर्माण सम्भव हो सका है। (x) दैनिक वस्तुओं का निर्माण दैनिक उपयोग की अनेक वस्तुओं का निर्माण सम्भव हुआ है।
(x) दैनिक वस्तुओं का निर्माण- दैनिक उपयोग की अनेक वस्तुओं का निर्माण सम्भव हुआ है।
(xi) नवीन खोजें- कम्प्यूटर व नवीन खोजें सम्भव हो सकी हैं।
(ब) किस्में-खनिज लोहा मुख्यतः चार किस्मों में विभाजित किया जाता है-
किस्में | शुद्ध लोहे का प्रतिशत | रंग | विशेषताएँ |
---|---|---|---|
मेगनेटाइट | 72.2 | काला अथवा गहरा भूरा। | चुम्बकीय गुण |
हैमेटाइट | 60-70 तक | लाल | गलाना सरल |
लिमोनाइट | 40-60 तक | हल्का भूरा | - |
सिड राइट | 35 तक | भूरा | - |
(स)उत्पादक क्षेत्र-म.प्र. का खनिज लौह उत्पादन में तृतीय स्थान है। जबलपुर, ग्वालियर क्षेत्र, बालाघाट व मण्डला जिलों में लौह उत्पादन होता है। बेलाडीला की खानों का लोहा मुख्यतः निर्यात किया जाता है। यहाँ की खानों का लोहा, विशाखपट्टनम बन्दरगाह तक पहुँचाने हेतु रेल मार्ग का निर्माण किया गया है।
(द) उत्पादन -
म.प्र. के अनुमानित लौह भण्डार
क्षेत्र | अनुमानित भण्डार (करोड़ टन में) |
---|---|
1. जबलपुर | 4.9 |
2. ग्वालियर | 4.1 |
योग | 8.10 |
2. मैंगनीज (Manganese)
महत्व-(i) इसका मुख्य उपयोग खनिज लोहे से इस्पात बनाने में होता है। एक टन इस्पात बनाने में पाँच किलो मैंगनीज प्रयोग में आता है। मैंगनीज के द्वारा बना इस्पात मशीनों, सड़कों के कूटने के इन्जनों, रेल पटरियों के निर्माण के काम आता है।
(ii) अन्य उपयोगों में प्रमुख निम्न हैं-
(अ) शुष्क बैटरी में (ब) कीटाणु नाशक औषधियों में
(स) रंग रोगन में (द) चीनी के बर्तन में
(इ) काँच की वस्तुएँ (फ) मैंगनीज साल्ट का निर्माण
(ग) खाद में प्रयोग।
उत्पादन क्षेत्र-म.प्र. मैंगनीज उत्पादन में पिछड़ा होने पर भी निक्षेपों की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण राज्य है। भारत का लगभग 30% मैंगनीज यहाँ केन्द्रित है। बालाघाट, छिंदवाड़ा, मण्डला व जबलपुर यहाँ के उल्लेखनीय क्षेत्र हैं। राज्य में रासकेट स्थान पर फैरो- मैंगनीज का कारखाना भी स्थापित किया गया है। भारत का लगभग एक चौथाई उत्पादन यहाँ से उपलब्ध होता है।
3. बाक्साइट (Bauxite)
महत्व-1. बाक्साइट से एलम्यूनियम तैयार किया जाता है। इसी कारण यह खनिज सर्वाधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है, एलम्यूनियम एक उपयोगी एवं हल्की धातु है। बाक्साइट से प्राप्त तत्व अल्यूमिना के कारण लगभग 4 टन बाक्साइट से एक टन एलम्यूनियम तैयार होता है। विश्व का 90% बाक्साइट एलम्यूनियम बनाने में ही प्रयुक्त होता है। इस धातु का प्रयोग निम्न कार्यों में होता है- (i) हवाई जहाज, रेल, बस ट्रकों आदि में। (ii) विद्युत, तारों एवं उपकणों में। (iii) बर्तनों एवं भवनों में। (iv) पैकिंग एवं अन्य कार्यों में।
2. एलम्यूनियम में प्रयुक्त 90% बाक्साइट के अतिरिक्त शेष 10% बाक्साइट भी अन्य कार्यों में प्रयुक्त होता है।
(i)रसायन उद्योग में (ii) पेट्रोलियम उद्योग में (iii) रिफेक्ट्रीज व एप्रेजियम में। उत्पादन क्षेत्र-10 करोड़ टन ज्ञात निक्षेपों में से 60% उच्च कोटि के हैं। खातों को तीन भागों में विभवत किया जा सकता है-
1. कटनी क्षेत्र-इस क्षेत्र में गुलाबी रंग का बाक्साइट पाया जाता है। यहाँ ठरका, मिहिगातान, खजूरी आदि तीस खाने हैं।
2. बालाघाट क्षेत्र-मंडला, भेरुगढ़, देवसानी, दादर, बालाघाट आदि स्थानों में इस क्षेत्र की मुख्य खाने हैं।
3. उपरौग मैनापट क्षेत्र-इसमें सरगुजा व रायगढ़ खानें प्रमुख हैं।
4. हीरा (Diamond)
महत्व खनिज पदार्थों में सबसे बहुमूल्य पदार्थ 'हीरा' है। यह 'रत्नों का राजा' के लिये विख्यात है। हीरे का व्यावसायिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
उत्पादन क्षेत्र-भारत में हीरा उत्पादन में म.प्र. का एकाधिकार है। भारत में हीरे के कुल उत्पादन का 95% अकेले म.प्र. से प्राप्त होता है। प्रदेश में हीरे का उत्पादन पन्ना के अतिरिक्त इटावा, मसगवा, आदि में भी हीरे निकाले जाते हैं। अनुमान है कि इन खदानों में 55 लाख केरेट होरे भरे पड़े हैं। जबलपुर और पन्ना में हीरे तराशने का कार्य किया जाता है।
5. चूना पत्थर (Lime Stone)
महत्व-यह एक ऐसा खनिज पदार्थ है, जिसका 2000 से अधिक कार्यों में उपयोग किया जाता है। प्रमुख रूप से सीमेंट, लोहा इस्पात तथा रासायनिक उद्योगों में इसका उपयोग किया जाता है। ताँबा, शीशा, उद्योग में भी इसका उपयोग किया जाता है। चूना पत्थर से चूना बनाया जाता है।
उत्पादन क्षेत्र-चूना पत्थर, जबलपुर, कटनी, सागर, दमोह, रीवा प्रमुख क्षेत्र हैं। कटनी में बड़ी मात्रा में चूना पत्थर कैमोर की सीमैण्ट फैक्ट्री को भेज दिया जाता है। प्रश्न 50. मध्य प्रदेश के सीमेण्ट उद्योग के वितरण प्रतिरूप की विवेचना कीजिये।
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